दिल इतना कमज़ोर क्यों
Heart Attack कुछ दिनों पहले की बात है। 29 साल के अंकित दिल्ली में अपने घर में एसी चलाकर रात में सो रहे थे। सुबह के 4:00 बजे अचानक उनके सीने में दर्द उठा। दर्द इतना बुरा था की नींद खुल गई। शरीर पसीने से तर बतर था। घर में कोई नहीं था जो अंकित को अस्पताल ले जा सकता। अंकित ने कराहते हुए दर्द को सहा।
घंटे भर मेँ दर्द कम हुआ तो फिर से नींद आ गई। सोकर उठे तो तबियत थोड़ी ठीक लगी तो हम कितने डॉक्टर के पास जाने का फैसला टाल दिया। लेकिन अगले दिन चलने फिरने से लेकर रोज़मर्रा के काम में भी उन्हें दिक्कत आयी। इसलिए अंकित ने डॉक्टर के पास जाने का फैसला किया। डॉक्टर ने अंकित की बात सुनकर उन्हें ईकोकार्डियोग्राम कराने की सलाह दी। इकोकार्डियोग्राम में पता चला कि 36 घंटे पहले अंकित को जो दर्द उठा था वो हार्ट अटैक था। डॉक्टर की बात सुनकर अंकित के होश उड़ गए। वो समझ ही नहीं पा रहे थे कि इतनी कम उम्र में
हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? आंकड़े बताते हैं की कम उम्र में हार्ट अटैक वाले मामले दिनों दिन भारत में बढ़ते जा रहे हैं। अमरीका के एक रिसर्च जर्नल में छपे लेख के मुताबिक 2015 तक भारत में 6.2,00,00,000 लोगों को दिल से जुड़ी बिमारी हुई। इनमें से तकरीबन 2.3,00,00,000 लोगों की उम्र 40 साल से कम है। यानी 40 फीसदी हार्ट के मरीजों की उम्र 40 साल से कम है। भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं। जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में भारत में यह आंकड़े
सबसे तेजी से बढ़ रहे हैं। हेल्थ डेटा.ओआरजी के मुताबिक प्री मैच्योर डेथ है यानी अकाल मृत्यु के कारणों में 2005 में दिल की बिमारी तीसरे नंबर पर थी, लेकिन 2016 में दिल की बिमारी अकाल मृत्यु का पहला कारण बन गया है। 1015 साल पहले तक दिल की बिमारी को अक्सर बुजुर्गों से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन पिछले एक दशक में दिल से जुड़ी बिमारी के आंकड़े कुछ और कहानी कहने लगे हैं। देश के जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट और पद्मश्री से सम्मानित डॉक्टर
असीम मनचंदा के मुताबिक दरअसल देश के युवाओं का दिल कमज़ोर हो गया है। डॉक्टर मनचंदा फिलहाल दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में है। इससे पहले वो एम्स में कार्डिओ विभाग के कई सालों तक हेड रह चूके हैं। उनके मुताबिक कमजोर दिल का कारण हमारे नए जमाने की जीवनशैली है। देश के युवाओं में फैले लाइफ स्टाइल डिस्ऑर्डर के लिए वो पांच कारणों को अहम मानते हैं। जीवन में तनाव, खाने की गलत आदत, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर देर तक काम करना, स्मोकिंग, तंबाकू, शराब की लत और पर्यावरण का प्रदूषण
अंकित ने भी बीबीसी को बताया कि 22 साल की उम्र से वो सिगरेट पीते थे। 29 साल के होते होते वो चेन स्मोकर बन गए थे, लेकिन हार्ट अटैक आने के 2 साल बाद अब उन्होंने सिगरेट पीना छोड़ दिया है पर दिल की बिमारी के लिए उन्हें आज भी तीन दवाईयां रोज़ खानी पड़ती है। पढ़ने की उम्र में आजकल बच्चों में तनाव आम है। इतना ही नहीं छात्रों के जीवन में खाने का गलत समय और पढ़ने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का घंटों तक इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। डॉक्टरों की मानें तो हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण माना जाता है। सीने में तेज दर्द
अक्सर किसी फिल्मी दृश्य में जब किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो वो अपना सीना ज़ोर से जकड़ लेता है। दर्द के मारे उसकी आँखों में घबराहट दिखने लगती है और वो जमीन पर गिर पड़ता है। हम सभी को लगता है कि दिल का दौरा पड़ने पर ऐसा ही एहसास होगा जैसे हमारे सीने को कुचला जा रहा है। ऐसी अनुभूति होती भी है, लेकिन हमेशा नहीं। जब दिल तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती है तो दिल का दौरा पड़ता है। आमतौर पर हमारी धमनियों के रास्ते में किसी तरह की रुकावट आने की वजह से खून दिल तक नहीं पहुँच पाता।
इसीलिए सीने में तेज दर्द होता है लेकिन कभी कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है। हेल्थ डेटा.ओआरजी के मुताबिक आज भी दुनिया में अलग अलग बिमारी से होने वाली मौतों में दिल की बिमारी सबसे बड़ी वजह है। इंडियन मेडिकल असोसिएशन के डॉक्टर केके अग्रवाल के मुताबिक महिलाओं में प्रीमेनॉपॉज हर्ट की बिमारी नहीं होती। इसके पीछे महिलाओं में पाए जाने वाले सेक्स हॉर्मोन्स है जो उन्हें दिल की बिमारी से बचाते हैं। लेकिन पिछले कुछ समय में महिलाओं में प्रीमेनॉपॉज
बाली उम्र में भी हार्ट अटैक जैसी बीमारियां देखी जा रही है। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक अगर कोई महिला स्मोकिंग करती है या गर्भनिरोधक पिल्स का लंबे समय से इस्तेमाल करती रही है तो प्राकृतिक रूप से उसके शरीर की हार्ट अटैक से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। डॉक्टर रेड्डी के मुताबिक के 5 साल बाद महिलाओं में भी हार्ट अटैक का खतरा पुरुषों के बराबर ही हो जाता है। कई तरह के शोध है जिनमें पाया गया है कि महिलाएं अक्सर सीने में दर्द को नज़रअन्दाज़ कर देती है।
और इसलिए इलाज उनको देर से मिलता है। हार्ट अटैक से बचने के लिए क्या करें? डॉक्टर मनचंदा के मुताबिक हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए युवाओं को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है। उनके मुताबिक बहुत हद तक योग से ये बदलाव संभव है। वो योग को हार्ट अटैक से बचाव का सबसे कारगर तरीका मानते हैं। डॉक्टर मनचंदा कहते हैं, योग से न सिर्फ तनाव दूर होता है बल्कि लोग शांत चित्त और ज्यादा एकाग्र होते हैं। हार्ट अटैक से बचना है तो ट्रैन्स फैट से बचें।
इसके अलावा डॉक्टर मनचंदा के अनुसार युवाओं को दिल की बिमारी से बचाने के लिए सरकार को भी कुछ मदद करनी चाहिए। इस सवाल पर कि सरकार कैसे हार्ट अटैक रोक सकती है? डॉक्टर मनचंदा बताते है, जंक फूड पर सरकार को ज्यादा टैक्स लगाना चाहिए, जैसे सरकार तंबाकू और सिगरेट पर लगाती है। साथ ही जंक फूड पर बड़े बड़े मोटे अक्षरों में वार्निंग लिखी होनी चाहिए। सरकार इसके लिए नियम बना सकती है। डॉक्टर मनचंदा की मानें तो ऐसा करने से समस्या जड़ से खत्म तो नहीं होगी, लेकिन लोगों में जागरूकता जरूर बढ़ेगी।
अक्सर ये भी सुनने में आता है की हार्ट अटैक का सीधा संबंध शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल से होता है। इसलिए अधिक तेल में तला हुआ खाना न तो बनाएं ना खाएं। लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है? डॉक्टर मनचंदा कहते है, कोलेस्ट्रॉल से नहीं, लेकिन ट्रांसफैट से हार्ट अटैक में दिक्कत ज्यादा आ सकती है। ट्रांस फैट शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है। वनस्पति और डालडा ट्रांसप्लांट के मुख्य स्रोत होते हैं इसलिए इनसे बचना चाहिए। जानकारों के मुताबिक इन तरीकों पर कमल करके युवा हार्ट अटैक के अटैक से बच सकते हैं।