शमी की कामयाबी
शमी की कामयाबी - पश्मी उत्रपर्देश के अम्रोहा के इस शान्त गाओ में कच्ची मिट्टी की पिछों पर टैनिस बॉल से खेलते हुए बढ़े हुए महुमज श्रमी का नाम इन दिनो किर्किट की दुनिया में चाया हुआ है। वॉल्ट कब 2023 के सेमी फाइनल में श्रमी ने सादविकिट लिए। ये विश्वकप में किसी भी भारतिय गेंदबाज का सर्वश्रेज्थ प्रदर्शन है। कुछ लोग इसे चमतकार या किस्मत कह सकते हैं। लेकिन जो शमी को जानते हैं उन्हें पता है कि ये एक लंबी महनत का नतीजा है।
निजी जिन्दगी में कई उतार चढ़ावों से गुजरे शमी वॉल्ट कब के शुर्वाती चार मैचों में बैंच पर बैठे रहे थे। लेकिन जब उन्हें मौका मिला तो उन्हें साबित कर दिया कि वो क्या कर सकते हैं। सहसपूर अलीनगर गाउमें किरकेट को लाने का शुर्वाती शमी के पिता तोसीफ एहमद को जाता है। शमी के बड़े भाई हसीब भी इस इलाके में बतोर करकेटर जाने जाते हैं। और अपने भाई की काम्याबी में उनकी भी आहम भुमीका रही है। साथ में खेलते थे।
यह उसकी महनत का नतिचा है, और सब लोगो भी दौज़ूगा हूँगा, पूरा देश उसके लिए दौज़ूगा गड़ता। तो यह अम्भीत तो हर बगत रहती है, क्या हमारे बोल रहे है, अच्छे विकेट निकाले हैं, जात से जाता विकेट निकाले हैं, अम्मी करती जाता, अच्छे अम्मी को जानकरी है निकेट की, बै वैसी तो कोई सवाल अम्मी करेंगी नहीं, तो कभी वो कर भी देता मदागों मैं, तो वो सीज़े चुप हो जाती,
तो बाकी सभी मैचों में जब-जब शमी ने बॉल पकडी, बल्लेबाज चक्रा गए। मुरादाबाद में शमी के कोछ रहे बद्रुधीन मानते हैं कि इस प्रदर्षन के पीचे सिर्फ उनकी महनत हैं
बॉल अपनी लाइन्थ पर डाल रहा है, सीम से डाल रहा है, सीम उसकी इतनी जबर्दस्त है कि शायदी किसी बॉलर की हो वड़ में इस रहे हैं सबसे बड़ा सिमपल सा उसका थेवरी है कि आप ज़ादा कौषीश नहीं करते हैं, सिर अपनी एक जगा जो आपका पास जो गौलिटी हैं उसके मेंटेन रखता हैं एक जगा बॉल डालता रहता हैं और वहीं पर ही, वहीं से अंदर बाहर सॉइंग होता है